" हकार "

" मिथिला सेवा समिति के सदस्यता लेल समितिक भवन में एकटा फोटो के साथ जाऊ आ सदस्य बनू...! 178, पूर्व सापुईपारा, बाली, बेलुड,हावड़ा !

Monday, August 13, 2012

mithila seva samiti invitation

सदस्यगण/मैथिलवृन्द,
विदित हो जे "मिथिला सेवा समिति" स्वाधीनता दिवस-2012 के उपलक्ष पर प्रातः काल 9:30 बजे राष्ट्रीय झंडोत्तोलन  एवं  
बेरुपहर 3:00 बजे सँ उत्तीर्ण दसवीं एवं बारहवीं (जे कोनो बोर्ड सँ) कक्षाक छात्र-छात्राक सम्बर्धना पुरस्कार, 
क्विज़, कविता, आ बाद-बिवाद प्रतियोगिता के आयोजन सुनिश्चित कयलक अछि
 कृपया उपरोक्त कार्यक्रम में अपने सबन्धू - बान्धव अवश्य पधारी!
 
स्थान : 
"विद्यापति भवन"
178, पूर्व-सापुईपाड़ा  (बेलुड़), बाली, हावड़ा  -711227.(पश्चिम बंग) 
+918582832411
 
निवेदक : मिथिला सेवा समिति "परिवार"

अहि पेज क लैक करू :-
समितिक ब्लॉग :-www.mithilasevasamiti.blogspot.in

विशेष जानकारी हेतु संपर्क करी..
1 President RAJEEV RANJAN MISHRA 98300 63139   raj13963@gmail.com 
 2 Vice-President SUMAN KUMAR JHA 98311 64182 033-2646 2815dolphin81264@yahoo.कॉम
3 Secretary SANJAY JHA 98740 52111 033-2646 1174sanjayjha.1972@rediffmail.com 
 4 Asst.Secretary HEMKANT JHA 8100504540   hem_jha89@rediffmail.com 
 5 Treasurer RAJKUMAR JHA 97482 88838 rajkumar.jha1967@gmail.com 
    6 Acoountant JAGANNATH MISHRA 91633 96381 jmishra83@gmail.com 
 7 Sr. Executive BHAWNATH JHA 98307 27003   bnj1957@yohoo.co.in 
 8 Sr. Executive RAGHABENDRA JHA 98363 50267  jharaghabendra12@gmail.com 
 9 Sr. Executive NAVIN CHOUDHARY 96747 25090   nkc1976@yahoo.co.in 
 10 Sr. Executive SUBHASH CHANDRA JHA 91630 45832  scjha@apeejaygroup.com 
 11 Sr. Executive PAWAN KUMAR JHA 91436 10875     
 12 Sr. Executive BHARAT KUMAR JHA 98306 92570     
 13 Sr. Executive SHAILESH CHOUDHARY 98300 80233   shaileshchy@sify.com 
 14 Sr. Executive PRAKASH JHA 9007315115   prksh.jha@gmail.com 
 15 Sr. Executive SANJIV JHA (GUDDU) 99030 75503   sanjiv.jha@adityabirla.com 
 16 Jr. Executive SUMAN JHA (R.P.) 98305 38659   
  17 Jr. Executive BIPIN KUMAR JHA 80133 42293   jhafinanceservices2009@gmail.com 
 18 Auditor SANTOSH JHA 98315 30728  

Thursday, June 28, 2012

मिथिला सेवा समिति के सदस्यता लेल समितिक भवन में एकटा फोटो के साथ जाऊ आ सदस्य बनू...!

Monday, November 7, 2011

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Pls follow my blog:
 
 
RAJEEV R MISHRA

On Sat, Oct 29, 2011 at 7:15 PM, mithila seva samiti westbengal <mithilasevas@gmail.com> wrote:
http://mithilasevasamiti.blogspot.com/

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mss

Monday, October 31, 2011

छठ पर्व या छठ कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है। सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। प्रायः हिंदुओं द्वारा मनाए जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलंवी भी मनाते देखे गए हैं।

नामकरण

छठ पर्व छठ, षष्टी का अपभ्रंश है। कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के तुरंत बाद मनाए जाने वाले इस चार दिवसिए व्रत की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल सष्ठी की होती है। इसी कारण इस व्रत का नामकरण छठ व्रत हो गया।

सारणी – •

१. लोक आस्थाका पर्व – छठ •

२. छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं ? .

लोक आस्थाका पर्व – छठ हमारे देशमें सूर्योपासनाके लिए प्रसिद्ध पर्व है छठ । मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होनेके कारण इसे छठ कहा गया है । यह पर्व वर्षमें दो बार मनाया जाता है । पहली बार चैत्रमें और दूसरी बार कार्तिकमें । चैत्र शुक्लपक्ष षष्ठीपर मनाए जानेवाले छठ पर्वको चैती छठ व कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठीपर मनाए जानेवाले पर्वको कार्तिकी छठ कहा जाता है । पारिवारिक सुख-स्मृद्धि तथा मनोवांछित फलप्राप्तिके लिए यह पर्व मनाया जाता है । इस पर्वको स्त्री और पुरुष समानरूपसे मनाते हैं । छठ व्रतके संबंधमें अनेक कथाएं प्रचलित हैं; उनमेंसे एक कथाके अनुसार जब पांडव अपना सारा राजपाट जुएमें हार गए, तब द्रौपदीने छठ व्रत रखा । तब उसकी मनोकामनाएं पूरी हुईं तथा पांडवोंको राजपाट वापस मिल गया । लोकपरंपराके अनुसार सूर्य देव और छठी मइयाका संबंध भाई-बहनका है । लोक मातृका षष्ठीकी पहली पूजा सूर्यने ही की थी । छठ पर्वकी परंपरामें बहुत ही गहरा विज्ञान छिपा हुआ है, षष्ठी तिथि (छठ) एक विशेष खगौलीय अवसर है । उस समय सूर्यकी पराबैगनी किरणें (ultra violet rays) पृथ्वीकी सतहपर सामान्यसे अधिक मात्रामें एकत्र हो जाती हैं । उसके संभावित कुप्रभावोंसे मानवकी यथासंभव रक्षा करनेका सामर्थ्य इस परंपरामें है । पर्वपालनसे सूर्य (तारा) प्रकाश (पराबैगनी किरण) के हानिकारक प्रभावसे जीवोंकी रक्षा संभव है । पृथ्वीके जीवोंको इससे बहुत लाभ मिल सकता है । सूर्यके प्रकाशके साथ उसकी पराबैगनी किरण भी चंद्रमा और पृथ्वीपर आती हैं । सूर्यका प्रकाश जब पृथ्वीपर पहुंचता है, तो पहले उसे वायुमंडल मिलता है । वायुमंडलमें प्रवेश करनेपर उसे आयन मंडल मिलता है । पराबैगनी किरणोंका उपयोग कर वायुमंडल अपने ऑक्सीजन तत्त्वको संश्लेषित कर उसे उसके एलोट्रोप ओजोनमें बदल देता है । इस क्रियाद्वारा सूर्यकी पराबैगनी किरणोंका अधिकांश भाग पृथ्वीके वायुमंडलमें ही अवशोषित हो जाता है । पृथ्वीकी सतहपर केवल उसका नगण्य भाग ही पहुंच पाता है । सामान्य अवस्थामें पृथ्वीकी सतहपर पहुंचनेवाली पराबैगनी किरणकी मात्रा मनुष्यों या जीवोंके सहन करनेकी सीमामें होती है । अत: सामान्य अवस्थामें मनुष्योंपर उसका कोई विशेष हानिकारक प्रभाव नहीं पडता, बल्कि उस धूपद्वारा हानिकारक कीटाणु मर जाते हैं, जिससे मनुष्य या जीवनको लाभ ही होता है । छठ जैसी खगौलीय स्थिति (चंद्रमा और पृथ्वीके भ्रमण तलोंकी सम रेखाके दोनों छोरोंपर) सूर्यकी पराबैगनी किरणें कुछ चंद्र सतहसे परावर्तित तथा कुछ गोलीय अपवर्तित होती हुई, पृथ्वीपर पुन: सामान्यसे अधिक मात्रामें पहुंच जाती हैं । वायुमंडलके स्तरोंसे आवर्तित होती हुई, सूर्यास्त तथा सूर्योदयको यह और भी सघन हो जाती है । ज्योतिषीय गणनाके अनुसार यह घटना कार्तिक तथा चैत्र मासकी अमावस्याके छ: दिन उपरांत आती है । ज्योतिषीय गणनापर आधारित होनेके कारण इसका नाम और कुछ नहीं, बल्कि छठ पर्व ही रखा गया है ।

२. छठ पर्व किस प्रकार मनाते हैं ? यह पर्व चार दिनोंका है । भैयादूजके तीसरे दिनसे यह आरंभ होता है । पहले दिन सैंधा नमक, घी से बना हुआ अरवा चावल और कद्दूकी सब्जी प्रसादके रूपमें ली जाती है । अगले दिनसे उपवास आरंभ होता है । इस दिन रातमें खीर बनती है । व्रतधारी रातमें यह प्रसाद लेते हैं । तीसरे दिन डूबते हुए सूर्यको अर्घ्य यानी दूध अर्पण करते हैं । अंतिम दिन उगते हुए सूर्यको अर्घ्य चढ़ाते हैं । इस पूजामें पवित्रताका ध्यान रखा जाता है; लहसून, प्याज वर्ज्य है । जिन घरोंमें यह पूजा होती है, वहां भक्तिगीत गाए जाते हैं । आजकल कुछ नई रीतियां भी आरंभ हो गई हैं, जैसे पंडाल और सूर्यदेवताकी मूर्तिकी स्थापना करना । उसपर भी रोषनाईपर काफी खर्च होता है और सुबहके अर्घ्यके उपरांत आयोजनकर्ता माईकपर चिल्लाकर प्रसाद मांगते हैं । पटाखे भी जलाए जाते हैं । कहीं-कहींपर तो ऑर्केस्ट्राका भी आयोजन होता है; परंतु साथ ही साथ दूध, फल, उदबत्ती भी बांटी जाती है । पूजाकी तैयारीके लिए लोग मिलकर पूरे रास्तेकी सफाई करते हैं ।

छठ पूजा के इतिहास की ओर दृष्टि डालें तो इसका प्रारंभ महाभारत काल में कुंती द्वारा सूर्य की आराधना व पुत्र कर्ण के जन्म के समय से माना जाता है। मान्यता है कि छठ देवी सूर्य देव की बहन हैं और उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए जीवन के महत्वपूर्ण अवयवों में सूर्य व जल की महत्ता को मानते हुए, इन्हें साक्षी मान कर भगवान सूर्य की आराधना तथा उनका धन्यवाद करते हुए मां गंगा-यमुना या किसी भी पवित्र नदी या पोखर ( तालाब ) के किनारे यह पूजा की जाती है। प्राचीन काल में इसे बिहार और उत्तर प्रदेश में ही मनाया जाता था। लेकिन आज इस प्रान्त के लोग विश्व में जहाँ भी रहते हैं वहाँ इस पर्व को उसी श्रद्धा और भक्ति से मनाते हैं।

छठ का पर्व तीन दिनों तक मनाया जाता है। इसे छठ से दो दिन पहले चौथ के दिन शुरू करते हैं जिसमें दो दिन तक व्रत रखा जाता है। इस पर्व की विशेषता है कि इसे घर का कोई भी सदस्य रख सकता है तथा इसे किसी मन्दिर या धार्मिक स्थान में न मना कर अपने घर में देवकरी ( पूजा-स्थल) व प्राकृतिक जल राशि के समक्ष मनाया जाता है। तीन दिन तक चलने वाले इस पर्व के लिए महिलाएँ कई दिनों से तैयारी करती हैं इस अवसर पर घर के सभी सदस्य स्वच्छता का बहुत ध्यान रखते हैं जहाँ पूजा स्थल होता है वहाँ नहा धो कर ही जाते हैं यही नही तीन दिन तक घर के सभी सदस्य देवकरी के सामने जमीन पर ही सोते हैं।

पर्व के पहले दिन पूजा में चढ़ावे के लिए सामान तैयार किया जाता है जिसमें सभी प्रकार के मौसमी फल, केले की पूरी गौर (गवद), इस पर्व पर खासतौर पर बनाया जाने वाला पकवान ठेकुआ ( बिहार में इसे खजूर कहते हैं। यह बाजरे के आटे और गुड़ व तिल से बने हुए पुए जैसा होता है), नारियल, मूली, सुथनी, अखरोट, बादाम, नारियल, इस पर चढ़ाने के लिए लाल/ पीले रंग का कपड़ा, एक बड़ा घड़ा जिस पर बारह दीपक लगे हो गन्ने के बारह पेड़ आदि। पहले दिन महिलाएँ अपने बाल धो कर चावल, लौकी और चने की दाल का भोजन करती हैं और देवकरी में पूजा का सारा सामान रख कर दूसरे दिन आने वाले व्रत की तैयारी करती हैं।

छठ पर्व पर दूसरे दिन पूरे दिन व्रत ( उपवास) रखा जाता है और शाम को गन्ने के रस की बखीर बनाकर देवकरी में पांच जगह कोशा ( मिट्टी के बर्तन) में बखीर रखकर उसी से हवन किया जाता है। बाद में प्रसाद के रूप में बखीर का ही भोजन किया जाता है व सगे संबंधियों में इसे बाँटा जाता है।

तीसरे यानी छठ के दिन 24 घंटे का निर्जल व्रत रखा जाता है, सारे दिन पूजा की तैयारी की जाती है और पूजा के लिए एक बांस की बनी हुई बड़ी टोकरी, जिसे दौरी कहते हैं, में पूजा का सभी सामान डाल कर देवकरी में रख दिया जाता है। देवकरी में गन्ने के पेड़ से एक छत्र बनाकर और उसके नीचे मिट्टी का एक बड़ा बर्तन, दीपक, तथा मिट्टी के हाथी बना कर रखे जाते हैं और उसमें पूजा का सामान भर दिया जाता है। वहाँ पूजा अर्चना करने के बाद शाम को एक सूप में नारियल कपड़े में लिपटा हुआ नारियल, पांच प्रकार के फल, पूजा का अन्य सामान ले कर दौरी में रख कर घर का पुरूष इसे अपने हाथों से उठा कर नदी, समुद्र या पोखर पर ले जाता है। यह अपवित्र न हो जाए इसलिए इसे सिर के उपर की तरफ रखते हैं। पुरूष, महिलाएँ, बच्चों की टोली एक सैलाब की तरह दिन ढलने से पहले नदी के किनारे सोहर गाते हुए जाते हैं

नदी किनारे जा कर नदी से मिट्टी निकाल कर छठ माता का चौरा बनाते हैं वहीं पर पूजा का सारा सामान रख कर नारियल चढ़ाते हैं और दीप जलाते हैं। उसके बाद टखने भर पानी में जा कर खड़े होते हैं और सूर्य देव की पूजा के लिए सूप में सारा सामान ले कर पानी से अर्घ्य देते हैं और पाँच बार परिक्रमा करते हैं। सूर्यास्त होने के बाद सारा सामान ले कर सोहर गाते हुए घर आ जाते हैं और देवकरी में रख देते हैं। रात को पूजा करते हैं। कृष्ण पक्ष की रात जब कुछ भी दिखाई नहीं देता श्रद्धालु अलस्सुबह सूर्योदय से दो घंटे पहले सारा नया पूजा का सामान ले कर नदी किनारे जाते हैं। पूजा का सामान फिर उसी प्रकार नदी से मिट्टी निकाल कर चौक बना कर उस पर रखा जाता है और पूजन शुरू होता है।

सूर्य देव की प्रतीक्षा में महिलाएँ हाथ में सामान से भरा सूप ले कर सूर्य देव की आराधना व पूजा नदी में खड़े हो कर करती हैं। जैसे ही सूर्य की पहली किरण दिखाई देती है सब लोगों के चेहरे पर एक खुशी दिखाई देती है और महिलाएँ अर्घ्य देना शुरू कर देती हैं। शाम को पानी से अर्घ देते हैं लेकिन सुबह दूध से अर्घ्य दिया जाता है। इस समय सभी नदी में नहाते हैं तथा गीत गाते हुए पूजा का सामान ले कर घर आ जाते हैं। घर पहुँच कर देवकरी में पूजा का सामान रख दिया जाता है और महिलाएँ प्रसाद ले कर अपना व्रत खोलती हैं तथा प्रसाद परिवार व सभी परिजनों में बांटा जाता है।

छठ पूजा में कोशी भरने की मान्यता है अगर कोई अपने किसी अभीष्ट के लिए छठ मां से मनौती करता है तो वह पूरी करने के लिए कोशी भरी जाती है इसके लिए छठ पूजन के साथ -साथ गन्ने के बारह पेड़ से एक समूह बना कर उसके नीचे एक मिट्टी का बड़ा घड़ा जिस पर छ: दिए होते हैं देवकरी में रखे जाते हैं और बाद में इसी प्रक्रिया से नदी किनारे पूजा की जाती है नदी किनारे गन्ने का एक समूह बना कर छत्र बनाया जाता है उसके नीचे पूजा का सारा सामान रखा जाता है। कोशी की इस अवसर पर काफी मान्यता है उसके बारे में एक गीत गाया जाता है जिसमें बताया गया है कि कि छठ मां को कोशी कितनी प्यारी है।

रात छठिया मईया गवनै अईली

आज छठिया मईया कहवा बिलम्बली

बिलम्बली - बिलम्बली कवन राम के अंगना

जोड़ा कोशियवा भरत रहे जहवां जोड़ा नारियल धईल रहे जहंवा

उंखिया के खम्बवा गड़ल रहे तहवां

छठ पूजा का आयोजन आज बिहार व पूर्वी उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त देश के हर कोने में किया जाता है दिल्ली, कलकत्ता, मुम्बई चेन्न्ई जैसे महानगरों में भी समुद्र किनारे जन सैलाब दिखाई देता है पिछले कई वर्षों से प्रशासन को इसके आयोजन के लिए विशेष प्रबंध करने पड़ते हैं। इस पर्व की महत्ता इतनी है कि अगर घर का कोई सदस्य बाहर है तो इस दिन घर पहुँचने का पूरा प्रयास करता है

Saturday, October 29, 2011

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Tuesday, October 25, 2011

WISH YOU A HAPPY DIWALI

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Wednesday, October 19, 2011

मिथिला सेवा समिति (बेलूड़) केर नव कार्यकारिणी केर गठन


पूर्व अध्यक्ष : श्री भवनाथ झा  जानकारी दैत....

हावड़ा १९/१०/२०११ -(प्रकाश झा ) मिथिला  सेवा  समिति (बेलूड़)  केर  नव  कार्यकारिणी  केर  गठन  भेल  अछि , जाही  में  राजीव  रंजन  मिश्र  के  अध्यक्ष , उपाध्यक्ष -सुमन  झा , सचिव -संजय  झा , सहायक  सचिव -हेमकांत  झा  (कन्हैया), कोषाध्यक्ष -राज  कुमार  झा , (कैप्टन), जगरनाथ  मिश्र , ऑडिटर -संतोष  झा छथि, कार्यकारी  सदस्य  में  भवनाथ  झा , राघवेन्द्र  झा , नवीन  चौधरी , सुभाष  चन्द्र  झा , पवन , भरत , शैलेश  चौधरी , प्रकाश  झा (पत्रकार), संजीव  झा  (गुड्डू), सुमन  झा    बिपिन  छथि , बिगत  रवि दिन  केर  बैसार  में  सर्बसमति    एकर  चुनाव  भेल , अहि  चुनाव  में  मुख्य  भूमिका में मिथिला  सेवा  समिति  चेरिटेबल ट्रस्ट  केर  संस्थापक सदस्य , श्री  दिनेश  मिश्र , प्रदीप  झा , संतोष  झा  (पप्पू ), रामचंद्र  झा , अनंत  झा , आदि  उपस्थित  छलाह, अहि में बेलूर केर बहुतो मैथिल भाषी उपस्थित छलाह.. विदित हो जे बहुत दिन भवनाथ झा अध्यक्ष छलाह.  

Sunday, October 3, 2010

मिथिला सेवा समिति चेरिटेबल ट्रस्ट के रक्त दान शिविर के आयोजन.

" करय विग्यान कतबो अनुसंधान, क नहि सके रक्त निर्माण " ई लोकोकक्ति सते कहल गेल अछि जे बिनु रक्तदान केने रक्त उपलब्ध नहि भ सकैत अछि, लगातार 7 वर्ष स मिथिला सेवा समिति चेरिटेबल ट्रस्ट स्वेच्छा रक्त दान शिविर के आयोजन सब साल के भाँति आहियो बेर बेलुरक विद्यापति भवन मे कायलक, जाही मे 60 गोटे अपन रक्त दान केलनि, अहि अवसर पर मिथिला सेवा समिति चेरिटेबल ट्रस्ट के चेयरमेन श्री दिनेश मिश्रा, सचिव संतोष चौधरी, कोषाध्यक्ष सुभाष झा एवं संस्थाक सदस्य रामचंद्र झा, मिथिला सेवा समितिक अध्यक्ष भावनाथ झा, सचिव संजय झा, राघवेंद्र झा, भरत झा, शैलेश चौधरी, किशोर ठाकुर, कैप्टन, नवीन आदि अपन उपस्थिति दर्ज़ करोलनि, अहि अवसर पर दिनेश मिश्रा रक्तदाता सब के अशेष साधुबाद देलनि, रक्त दाता सब बेलुरे नहि, कोलकाता, रिसरा, लिलूआ सब स आयल छलाह, जाहि मे मैथिल, मारवारी, बंगाली सब बढ़ी-चढ़ी के भाग लेलनि, अहि मे सब स बेशी युवा वर्ग सब अपन रक्तदान क हर्षित छलाह, रक्त दाता सब 3 बजे धरि आबैत रहलाह, मुदा 60 टा सीट आरक्षित होय के कारने किछु लोक वापस चली गेला, अहि अवसर पर बेलुरक मैथिल सब के सहयोग सराहनीय रहल, ओना ई संस्था सदिखण किछुने-किछु अहि तरहक पुनीत काज करैत रहैत अछि., बाहर स आयल डाक्टरक दल सब लोक सब के देखी कहलक जे हम सब बहुत ठाम जायत छि, जाहि ठाम लोक सब के पकरी-पकरी के आनय परैत अछि, मुदा अहि ठाम के लोक सब के रक्त दै लेल अजबे क्रेज़ अछि,


Monday, July 19, 2010

मिथिला सेवा समिति (बेलूर) द्वारा मैथिल कन्या के विवाह.











मिथिला सेवा समिति (बेलूर) द्वारा मैथिल कन्या के विवाह के अवसर पर लेल गेल चित्र। जाही में समितिक सब सदस्य लोकानी काज में भिरल आ बरियाती लोकानी भोजन करैत..




Saturday, August 22, 2009

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कार्यक्रमक छठम वर्ष |

समिति द्वारा १५ अगस्त २००९ के स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष आयोजन भेल, जाही में भाषण आ माध्यमिक-उच्च्माध्यामिक बच्चा सब के पुरस्कृत केल गेल, इ लगातार छ बरख स आयोजित होइत आबी रहल अछि, अहि में वाद-विवाद प्रतियोगिता इत्यादि भेल छल, आओर कार्यक्रम नीचा विस्तार स

  • वाद-विवाद प्रतियोगिता में उच्चतम स्थान :

) मिहिर कुमार झा -पुत्र -श्री भवनाथ झा

२) प्रतिभा झा -पुत्री -श्री अखिलेश झा

३) मेघा झा -पुत्री-श्री भवनाथ झा

  • माध्यमिक एवं उच्च्माध्यामिक परीक्षा वर्ष -२००९ में उतीर्ण मेधावी छात्र ओ छात्रा के नाम निम्न अछि

माध्यमिक :

१) पहिल -पूजा झा

२) दोसर - मोहित झा

३) तेसर - राहुल झा

उच्च्माध्यामिक :

१) पहिल - nitish कुमार thakur

२) दोसर - राहुल ray

३) तेसर - rudranand मिश्रा

ऊपर लिखित सब के विशेष अतिथि द्वारा पुरस्कृत kayal गेल

Monday, August 10, 2009

मिथिला सेवा समितिक विशेष आयोजन

महानुभाव ,
विदित हो जे "मिथिला सेवा समिति (बेलूर)" सब साल जेना अहियो साल १५ अगस्त २००९ के मिथिला भवन में माध्यमिक आ उच्च्माध्यामिक के प्रतिभावान विद्यार्थी के पुरस्कृत करत आ किछु क्विज़ प्रतियोगिता के आयोजन सेहो रखल गेल अछि, जाही में अपनेक लोकनी आमंत्रित छी,

संगही, ६ सितम्बर के रक्तदान शिविर के आयोजन अछि, जाही में अपनेक लोकनी आबी, रक्त दान करी आ देशक भविष्य के बचाबी,

धन्यवाद ,

विशेष जानकारी हेतु साईट पर देल नम्बर पर संपर्क करी,

Tuesday, February 3, 2009


मिथिला समाद में रजत जयंतीक छपल ख़बर !

Monday, January 12, 2009



अहि ब्लॉग पर आबय बाला लोक सब के स्वागत आ अभिनन्दन !

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Monday, January 5, 2009

हकार

"विदित हो जे मिथिला सेवा समिति, रजत जयंती पर्वक उपलक्ष में द्विदिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व समारोहक आकर्षक आयोजन आगामी दिनांक २४ आ २५ जनवरी,२००९ (शानिदिन एवं रविदिन) समय बेरुकपहर चारि बजे स होमय जा रहल अछि! उक्त अवसर पर अपने सबंधू -बांधव आमंत्रित छि!

धन्यवाद !!!!!!!!

Friday, January 2, 2009

नव सालक शुभकामना संग

अहि ब्लॉग पर आबय बाला लोक सब के स्वागत अभिनन्दन : नव सालक शुभकामना संग अहाँ सब लोकनि केसमक्ष मिथिला सेवा समिति अपन एकटा नबका ब्लॉग प्रस्तुत रहल छथि! जाहि में मिथिला सेवा समिति द्वाराकायल जा रहल काज हुनक प्रसंसनिए काजक सब ब्यौरा प्राप्त सकब !